Prabhu Jagjeevan Bandhu Re

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केवा तू कामण करे

संघ एकताना शिल्पी पूज्य ॐकारसूरी महाराजा के जन्म शताब्दी वर्ष पर देवचंद्रजी , आनंदघनजी, महोपाध्याय यशोविजयजी आदी पूर्वमहर्षिओ द्वारा रचित स्तवनोका नूतन भाववाही रागों में पुनर्जीवन

Shree Parshva Prabhu Stavan

Stavan : Prabhu Jagjeevan Bandhu Ree
Lyrics : Pujya Mohan Vijayji Maharaja
Singer : Prashant Shah (Dikubhai)
Music : Hardik Pasad

Lyrics :

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे, सांई सयाणो रे…! तारी मुद्राए मन मोह्युं रे, जूठ न जाणो…! रे…! ।।१।।
तुं परमातम ! तुं पुरुषोत्तम ! वाला मारा तुं परब्रह्म स्वरूपी रे; सिद्ध साधक सिद्धांत सनातन, तुं त्रिहुं भाव प्ररूपी रे. ॥२॥
ताहरी प्रभुता त्रिहुं जग मांहे, पण मुज प्रभुता मोटी रे; तुज सरीखो माहरे महाराजा, माहरे कांई नहीं खोट रे.॥३॥
तुं निरद्रव्य परमपद वासी, वा० हुं तो द्रव्यनो भोगी रे; तुं निर्गुण हुं तो गुणधारी, हुं कर्मी तुं अभोगी रे. ।।४।।
तुं तो अरूपी ने हुं रूपी, वा० हुं रागी तुं निरागी रे; तुं निरविष हुं तो विषधारी, हुं संग्रही तुं त्यागी रे. ।।५।।
ताहरे राज नथी कोई एके, वा० चौदराज छे माहरे; माहरी लीला आगळ जोतां, अधिकुं शुं छे ताहरे ?।।६।।
पण तुं मोटो ने हुं छोटो, वा० फोगट फुल्ये शुं थाय रे; खमजो ए अपराध अमारो, भक्ति वशे कहेवाय रे.।।७।।
श्री शंखेश्वर वामानंदन, वा० उभा ओलग कीजे; रूप विबुधनो ‘मोहन’ पभणे, चरणोनी सेवा दीजे रे.।।८।।

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