Samarath Sahib Samata Dariyo

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केवा तू कामण करे

संघ एकताना शिल्पी पूज्य ॐकारसूरी महाराजा के जन्म शताब्दी वर्ष पर देवचंद्रजी , आनंदघनजी, महोपाध्याय यशोविजयजी आदी पूर्वमहर्षिओ द्वारा रचित स्तवनोका नूतन भाववाही रागों में पुनर्जीवन

Shree Rushabh Swami Stavan
(शत्रुंजय मंडण ऋषभदेव प्रभुकी ४९२वी सालगिरा)

Stavan : Samarth Sahib Samata Dariyo
Lyrics : Mahopadhyay Yashovijay Maharaja
Singer : Kshama Tater
Music : Umang Bhavsar
Mixed & Mastered : Manan Shah
Recording At : Melodious Junction Studio By UMANG BHAVSAR

Lyrics :

समरथ साहिब समता दरियो, गिरुओ जिनपति गुणमणि भरियो; नाभि नरेसर नंदन दीठो, माहरे नयणे अमीय पईठो. ॥१॥
मुज घर आंगणे सुरतरू फळियो, करे चिंतामणि आवी मळियो; आंगणे अमीयना मेह वूठा, समकित दृष्टि सुर सवि तूठा. ॥२॥
मुज मंदिर सुरधेनु बंधाणी, प्रभुशुं वाधी प्रीति पुरानी; काम कलश पण सामो आयो, प्रभु देखी में बहु सुख पायो. ॥३॥
अष्टममहासिद्धि आवे होडी, नवनिधि तो मुज पास न छोडी; प्रभु ध्याने नवि कांई अधूरुं, जिहां जोई तिहां दीसे पूरुं. ॥४॥
पूरव पुण्य अंकुरा जाग्या, आज ढळिया मुज पासा मांग्या; शंख दक्षिणावर्त ते लहियो, प्रभु देखी हुं अति गहगहियो. ॥५॥
गुरु आशिष फळी मुज सारी, भवनी भावठ दूर निवारी; नयन मिलावे मिलीयो स्वामी, तो में सहेजे मुगति ज पामी ॥६॥
धन्य दिवस धन्य ते ए वेला, जिहां हुआ तुज दरिशन भेला; चंद चकोरा मेहा मोरा, तिम अमे चाहुं दरिशन तोरा. ॥७॥
भवभय भगति गुणादर पूरो, दर्शन देई पातक चूरो; जो जाणो तो अधिकुं देयो, पण एहमां ओछु म करेयो.॥८॥
श्री नयविजय विबुधने सीसे, वाचक ‘जसविजये’ सुजगीशे; श्री रीसहेसरना गुण गाया, तेहथी निज मनवांछित पाया. ॥९॥

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