Gadh Girnare Jairahyare

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केवा तू कामण करे

संघ एकताना शिल्पी पूज्य ॐकारसूरी महाराजा के जन्म शताब्दी वर्ष पर देवचंद्रजी , आनंदघनजी, महोपाध्याय यशोविजयजी आदी पूर्वमहर्षिओ द्वारा रचित स्तवनोका नूतन भाववाही रागों में पुनर्जीवन

Shree Neminath Swami Stavan
(गिरनार मंडन श्री नेमिनाथ प्रभुकी ४९३वी सालगिरा)

Stavan : Gadh Giranare Jai Rahya Re
Lyrics : Pujya Gyanvimalsuri Maharaja
Singer : Dhruvil Shah
Music : Hardik Pasad

Lyrics :

गढ गिरनारे जई रह्या रे, यादव नेमकुमार,
विरह वचन बोले ईश्या, राजीमती तव नार;
सुणजो सैयरो रे वहाला… मुज हैयाना हार.

पगला पियुना पंखी जडी जडी, लागी रे नयणा; माहरे तीखा तीर जट पट, लागी रे महाणा.

तोरण आव्या नेमजी रे, पाछा वळ्या केम;
कपट कर्यूं परण्यातणुं रे, बाजीगर परे जेम.

करुणा कीधी पंखिया तणी रे, नव कीधी मुज सार; तो पण साची पतिव्रता रे, तेहीज तारी नार.

अष्ट भवांतर नेहलो रे, नवमे भवे दीधो छेह; केड न छोडुं ताहरो रे, जेम छायाने देह.

एम कहेती पहोति पिया रे पियुं पासे लिये दीक्षा; रहनेमी पण बुझव्या रे, देई हितनी शिक्षा.

यादव कुल चूडामणि रे, धन धन राजुल नेम;
‘ज्ञानविमल’ कहे एहनो रे, साचो पूरण प्रेम.

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