Vimagiri Shikhar Sundar

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केवा तू कामण करे

संघ एकताना शिल्पी पूज्य ॐकारसूरी महाराजा के जन्म शताब्दी वर्ष पर देवचंद्रजी , आनंदघनजी, महोपाध्याय यशोविजयजी आदी पूर्वमहर्षिओ द्वारा रचित स्तवनोका नूतन भाववाही रागों में पुनर्जीवन

Prachin Siddhachal Stavan

Stavan : Vimalgiri Shikhar Sundar
Rachna : Pujya Gyanvimalsuri Maharaja
Music Director : Umang Bhavsar
Singer : Sani Shah
Music Arranged – Produced : Umang Bhavsar
Mixed & Mastered : Kardamsharma Joshi
Recording At : Melodious Junction Studio By UMANG BHAVSAR

Lyrics :

विमलगिरि शिखर सुंदर, सकल तीर्थ सार रे; नाभिनंदन त्रिजगवंदन, ऋषभजिन जयकार रे. विमल० ।।१।।
चैत्य तरुवर रुख रायण, तले अति मनोहार रे; नाभिनंदन तणा पगला, भेटतां भव पार रे. विमल० ।।२।।
समवसरीया आदि जिनवर, जाणी लाभ अनंत रे; अजित शांति चोमासुं रहीया, साथ अनेक महंत रे. विमल०।।३।।
साधु सिध्या जिहां अनंता, पुंडरीक गणधार रे; सांबने प्रद्युम्न पांडव, प्रमुख बहु अणगार रे. विमल०।।४।।
नेमिजिननो शिष्य थावच्चो, एक सहस अणगार रे; अंतगडजी सूत्र मांहे, ज्ञातासूत्र मोझार रे. विमल०।।५।।
भावशुं जे भविक भेटे, सिद्धक्षेत्र मुकाम रे; नरक तिरि गति दोष निवारे, जे जपे लाख जिननाम रे. विमल०।।६।।
रयणमणिनी ऋषभ पडीमा, पंचसया घनु मान रे; नित्य प्रत्ये जिहां इन्द्र पूजे, दुषम समय प्रमाण रे. विमल०।।७।।
त्रीजे भवे मुक्ति पहोंचे, भविक भेटे जेह रे; देव सांनिध्य सकल वांछित, पूरवे ससनेह रे. विमल०।।८।।
एणी परे ए तीरथ महिमा, कह्यो शास्त्र मोझार रे; ‘ज्ञानविमल’ गिरि ध्यान धरता, आवागमन निवार रे. विमल ०।।९।।

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